औषधीय पौधों का उपयोग देशी चिकित्सा में कई सदियों से लाइलाज बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है । औषधीय पौधों में, कलौंजी एक चमत्कारिक जड़ी-बूटी के रूप में उभर रही है क्योंकि इसके बीजों का तेल दुनिया भर में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए सदियों से उपयोग किया जा रहा है और यह यूनानी और आयुर्वेद जैसी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण औषधि है । आज इस लेख में हम आपको विस्तृत रूप से कलौंजी के फायदे और नुकसान बताएँगे जिससे की आप भी इस चमत्कारी पौधे के बारे में जान सके ।
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कलौंजी क्या है ? – Kalonji ya Nigella kya hai ?
निजेला सैटाइवा, जिसे आमतौर पर कलौंजी के नाम से जाना जाता है, कलोंजी को सामान्य भाषा में अनेक अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे मंगरैला, निजेला सैटाइवा (Nigella Sativa), काला बीज और काला जीरा इत्यादि । निजेला सैटाइवा का उपयोग पारंपरिक रूप से श्वसन प्रणाली, पाचन तंत्र, गुर्दे और यकृत, कार्डियो संवहनी प्रणाली और प्रतिरक्षा प्रणाली को दूरस्थ करने के साथ-साथ शरीर के विभिन्न विकारों और बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है ।
इस्लाम में इसे उपचार के सबसे महान तरीको में से एक माना जाता है क्योंकि पैगंबर हदीस में उल्लेख किया गया है कि काला बीज मृत्यु को छोड़कर सभी बीमारियों का इलाज है ।
एविसेना ने “द कैनन ऑफ मेडिसिन” में काले बीजों का उल्लेख किया है, क्योंकि इसके बीज शरीर की ऊर्जा को बढ़ाते हैं और थकान /निराशा से उबरने में मदद करते हैं । इसके कई उपयोगों के कारणनिगेला को अरबी में इसे “हब्बातुल बरकाह” नाम दिया है, जिसका अर्थ होता है आशीर्वाद का बीज ।
इसकी खेती दुनिया के कई देशों जैसे मध्य पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र, दक्षिण यूरोप, भारत, पाकिस्तान, सीरिया, तुर्की, सऊदी अरब में की जाती है ।
भारत में इसकी खेती रबी के दौरान की जाती है तथा इसका पौधा 3-4 फीट लम्बा झाड़ीनुमा, सफ़ेद फूल एवं बीज काले रंग के प्याज के बीजों की तरह होते है तथा बीजों में एक अलग सुगंध और थोड़ा कड़वा स्वाद होता है ।
इसके बीजों में (बीजों के तेल में ) विभिन्न प्रकार के उपयोगी सक्रिय रासायनिक घटक पाए जाते है उनमे थाइमोक्विनोन प्रमुख है । थाइमोक्विनोन के कारण इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है । जिसकी सम्पूर्ण जानकारी इस लेख “कलौंजी के फायदे और नुकसान” में हम दे रहे है ।
कलौंजी के बीज की रासायनिक संरचना
कलौंजी के बीजों में कई सक्रिय यौगिकों को पहचाना गया है । सबसे महत्वपूर्ण सक्रिय यौगिक हैं थाइमोक्विनोन (30%-48%), थाइमोहाइड्रोक्विनोन, डाइथिमोक्विनोन, पी-साइमीन (7%-15%), कार्वाक्रोल (6%-12%), 4-टेरपिनोल (2%-7%), टी-एनेथोल (1%-4%), सेस्क्यूटरपीन लोंगिफोलीन (1%-8%) α-पिनीन और थाइमोल आदि पाए जाते है । इसके बीजों में सैपोनिन भी होता है जो की एक प्रमुख कैंसर रोधी रासायनिक पदार्थ है ।
कलौंजी के बीजों में प्रोटीन (26.7%), वसा (28.5%), कार्बोहाइड्रेट (24.9%), कच्चा फाइबर (8.4%) और कुल राख (4.8%) होता है। बीजों में विभिन्न विटामिन और खनिज जैसे Cu, P, Zn और Fe आदि भी अच्छी मात्रा में होते हैं। बीजों में कैरोटीन होता है जिसे लीवर द्वारा विटामिन ए में परिवर्तित किया जाता है । जड़ और अंकुर में वैनिलिक एसिड पाया जाता है ।
कलौंजी के फायदे और नुकसान – Kalonji ke fayde aur nuksan
कलोंजी के तेल में थाइमोक्विनोन की उपस्थिति के कारण, इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है । इसके बीजों का उपयोग मूत्रवर्धक, उच्चरक्तचापरोधी, मधुमेहरोधी, कैंसररोधी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एनाल्जेसिक, रोगाणुरोधी, कृमिनाशक, एनाल्जेसिक और सूजनरोधी, स्पास्मोलाइटिक, ब्रोन्कोडायलेटर, गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव, हेपेटोप्रोटेक्टिव, गुर्दे की सुरक्षा और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के रूप में किया जाता है । कलौंजी के फायदे और नुकसान की सम्पूर्ण जानकारी के लिए हमारा लेख ध्यान से पढ़े ।
कलौंजी के फायदे
कलोंजी का तेल जीवाणुरोधी होता है
कलोंजी के बीजों के तेल में जीवाणुरोधी गुण होता है जिसके कारण इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक दवाओं में किया जाता है । सामान्यता: सर्दी जुकाम होने पर कलोंजी के भुने हुए बीजों के कुछ दोनों को मुहं में रखकर हल्का हल्का चबाने से राहत भी इन्ही गुणों के कारन मिलती है । एक प्रयोग में यह पाया गया की कलोंजी के तेल प्रभाव ग्राम नकारात्मक वाले जीवाणु पर ज्यादा पाया गया ।
एंटीऑक्सीडेंट के प्रचुर स्रोत कलौंजी के बीज
कलोंजी के बीज थाइमोक्विनोन, कार्वाक्रोल और थाइमोहाइड्रोक्विनोन जैसे विभिन्न प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते है । इन योगिकों की उपस्थति के कारण कलौंजी के नियमित सेवन से ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है और पुरानी बीमारियों का खतरा भी कम होता है ।
फफूंद जनित रोगों में लाभदायक
कलोंजी के बीज में पाए जाने वाले थाइमोक्विनोन, के कारण इसमें विभिन्न तरह के फफूंद जैसे कैंडिडा अल्बिकन्स और एस्परगिलस फ्यूमिगेटस के प्रति कलोंजी फंगसरोधी प्रभाव दिखाती है । सामान्यत: विभिन्न तरह के फंगस रोगजनक होते है जो त्वचा की जलन से लेकर गंभीर बीमारियों तक के संक्रमण का कारण बन सकते हैं । कलौंजी का फफूंदनाशी गुण, फंगस की वृद्धि और उसके प्रसार को रोकने की क्षमता के कारण एक आकर्षक प्राकृतिक औषधि है।
कर्मीनाशी गुण (शिस्टोसोमियासिस)
शिस्टोसोमियासिस, शिस्टोसोमा कृमियों के कारण होने वाली एक परजीवी बीमारी है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है । चिकित्सा के क्षेत्र में काफी प्रगति के बावजूद, अभी तक इसका प्रभावी उपचार नहीं खोजा गया है । एक अध्यनन के अनुसार कलोंजी में पाए जाने वाले थाइमोक्विनोन में शिस्टोसोमा कृमियों के विकास और उसके प्रजनन को कम करने की क्षमता होती है । थाइमोक्विनोन परजीवी के तंत्रिका तंत्र को लक्षित करता है, जिससे उसके जीवित रहने और प्रजनन करने की क्षमता ख़राब हो जाती है, और अंततः संक्रमण के स्तर में गिरावट आती है।
शरीर में सुजन को कम करने में सहायक
पुरानी सूजन कई स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ है । कलोंजी में सूजनरोधी गुणों के होने के कारण यह गठिया, अस्थमा और कुछ त्वचा विकारों के दौरान होने वाली सूजन संबंधी विक्रतियो को कम करने में मदद करता है। रुमेटीइड गठिया से पीड़ित 42 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में, आठ सप्ताह तक प्रतिदिन 1,000 मिलीग्राम कलौंजी तेल के सेवन से रोगी में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव होना पाया गया । हालाँकि इस तरह से कलोंजी के सेवन से पहले किसी योग्य डॉक्टर की सलाह जरुर लेनी चाहिए ।
हृदय स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन औषधि
हृदय रोग दुनिया भर में मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है । कलौंजी में हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जरुरी सभी गुण मौजूद होते है और यह शरीर में यह कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप के स्तर को कम करके, हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है । अध्ययनों से पाया गया है कि यह एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है जबकि एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को बढ़ाता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है और हृदय से संबंधित समस्याओं का खतरा कम होता है। 2016 में एक अध्ययन से पता चला कि कलौंजी का तेल उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप) को कम करने में मदद करता है । अपने रक्तचाप को कम करने के लिए इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरुर ले ।
कलौंजी के बीज प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को बढाता है
शरीर को संक्रमणों और बीमारियों से बचाने के लिए एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण है और यह कलोंजी के सबसे महत्वपूर्ण फायदों में से एक है । कलोंजी के इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव शरीर की प्राकृतिक रक्षा तंत्र को बढ़ाते हैं और इसे रोगों से लड़ने के लिए मजबूत बनाते है । कुछ शोध में यह पाया गया की कलोंजी के बीज इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं और ग्लूकोज अवशोषण में सुधार करते हैं, जिससे मधुमेह वाले व्यक्तियों में रक्त शर्करा नियंत्रण बेहतर होता है ।
मधुमेह के इलाज में कारगर
मधुमेह एक खतरनाक और जटिल बीमारी है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को मौत के मुहं में धकेलती है । दुनिया भर के चिकित्साकर्मी मधुमेह की कारगर दवाई खोजने के लिए अनुसंधान कर रहे है परंतु कलोंजी में प्राकृतिक रूप से मधुमेह को कम करने के क्षमता पाई जाती है । शोध से पता चला है कि कलौंजी इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करके मधुमेह के इलाज में सहायता करती है । और ऐसा माना जाता है की कलौंजी शरीर में मौजूद β-सेल में बदलाव करके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करती है जिससे इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है । शोध से पता चला है कि कलौंजी का उपयोग से टाइप 2 मधुमेह का उपचार ज्यादा प्रभावी तरीके से किया जा सकता है ।
कलौंजी में है कैंसर से लड़ने की क्षमता
कलौंजी के विभिन्न फायदों में सबसे महत्वपूर्ण फायदा कलौंजी का कैंसर रोग के इलाज में कम आना है जो की आज के समय में सबसे गंभीर बीमारी बन चुकी है । कलौंजी में थाइमोक्विनोन जैसे बायोएक्टिव यौगिक होते हैं, जिनमें सुजन रोधी, एंटीऑक्सिडेंट और कैंसर-रोधी गुण होते है । ये यौगिक कैंसर कोशिका के विस्तार को रोककर और कैंसर कोशिका को मारकर (apoptosis) इस खतरनाक बीमारी को कम करते है । हालाँकि, कैंसर की रोकथाम और उपचार में इसकी भूमिका को पूरी तरह से समझने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
श्वसन सम्बन्धी बीमारी को रोकने में सहायक
कलौंजी में सूजनरोधी गुण होने के कारण इसका उपयोग श्वास-नली की सुजन कम करने, सामान्य सर्दी, फ्लू या अन्य श्वसन संक्रमण से जुड़ी खांसी को कम करके तथा श्वास-नलीस्वश में जमे हुए कफ को दूर करके श्वसन सम्बन्धी बिमारियों को रोकने में मददगार होती है ।कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कलौंजी के तेल में ब्रोन्कोडायलेटरी गुण होते हैं, जिससे की वायुमार्ग को आराम देने और चौड़ा करने में मदद मिलती है इसी कारण से कलोंजी का उपयोग अस्थमा वाले व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है ।
पाचन शक्ति को बदाता है कलौंजी
कलौंजी के बीज अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं, जो पाचन संबंधी परेशानी को शांत करने और जठरांत्र संबंधी मार्ग में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह मस्तिष्क-आंत विकार (आईबीएस) (जो की अधिकतर रोगियों में तनाव के समय यह समस्या अधिक रहती है। जैसे नए जॉब के शुरुआती दिन, इंटरव्यू के पहले, कोई दूसरा तनाव का कारण जिसके लिए मरीज संवेदनशील है । क्युकी आँतों से सम्बंधित ये गतिविधियां मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित की जाती हैं और इस रोग में मस्तिष्क का नियंत्रण सुचारू रूप से नहीं हो पाता है इसलिए इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम को मस्तिष्क-आंत विकार कहा जाता है) या खट्टी डकार वाले व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है । इसके अतिरिक्त कलोंजी में पाए जाने वाले फाइबर के कारण यह मल त्याग में सहायता करता है, तथा कब्ज को रोकने में भी मदद करता है । कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कलौंजी का तेल एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों को कम करने में मदद करता है । कलौंजी तेल के रोगाणुरोधी गुण आंत में उपयोगी जीवाणु का संतुलित भी बनाये रखता है ।
बांझपन की समस्या में लाभदायक
हार्मोनल असंतुलन अक्सर पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन का कारण बनता है । कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कलौंजी का तेल हार्मोनल स्तर को विनियमित करने में मदद करता है और प्रजनन क्षमता को बढाता है । कुछ अध्ययनों में शुक्राणु स्वास्थ्य और गतिशीलता में सुधार करने के लिए कलौंजी तेल की क्षमता का पता लगाया गया है, जिसके आशाजनक परिणाम मिले हैं । 2014 में बांझपन वाले पुरुषों में एक प्रयोग से यह बात पता चली की कलोंजी का तेल के सेवन से शुक्राणुओं की संख्या, शुक्राणु की गति और वीर्य की मात्रा बढती है । इसी प्रकार 2018 में भी नर चूहों पर हुए एक अनुसंधान से यह बात पता चली है की कलोंजी के तेल में मौजूद थाइमोक्विनोन शुक्राणु कोशिकाओं की गुणवत्ता, गतिशीलता और संख्या को बढ़ाता है ।
त्वचा और बालों खूबसूरती लिए लाभदायक
प्राचीन मिस्रवासी, कलोंजी के तेल से शरीर की मालिश करते थे जिससे की त्वचा पुनर्जीवित हो सके । कलौंजी का तेल बालों के रोमों को उत्तेजित करता है और खोपड़ी में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है । इसका उपयोग त्वचा की सुंदरता को बढ़ाने, मुँहासे को कम करने और बालों के रोम को मजबूत करने के लिए प्राकृतिक सौंदर्य उपचार में किया जाता है । कलोंजी का तेल एक्जिमा, मुँहासे या सोरायसिस जैसे त्वचा के रोगों में फायदेमंद होता है । आजकल ऑनलाइन बाज़ार में बहुत सारे ब्रांड के कलोंजी के तेल, त्वचा तथा बालों के लिए उपलब्ध है । जैसे Mymoon Kalonji हेयर ऑयल, WishCare, VRT HERBAL Kalonji और Safa काला बीज तेल.
प्राकृतिक दर्द निवारक है कलोंजी
सदियों से, कलौंजी का उपयोग प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में किया जाता रहा है । चाहे वह सिरदर्द हो, जोड़ों का दर्द हो, या मासिक धर्म की परेशानी हो, कलौंजी के एनाल्जेसिक गुण पारंपरिक दर्द निवारक दवाओं के दुष्प्रभावों के बिना राहत दे सकते हैं ।
वजन कम करने में मददगार
बड़े हुए वजन को कम करना आजकल एक बहुत बड़ी समस्या है । कलोंजी का सेवन शरीर में भोजन के पाचन को बढाकर और भूख को कम करके आदमी का वजन कम करने में मददगार होता है
लीवर को स्वस्थ रखता है
लीवर एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण अंग है। यह विषाक्त पदार्थों को निकालता है, दवाओं का चयापचय करता है, पोषक तत्वों को संसाधित करता है और प्रोटीन और रसायनों का उत्पादन करता है जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। चूहों में किये गये एक अध्ययन से पता चला है की कलौंजी लीवर और किडनी को नुकसान पहुचाने वाले विषाक्त रसायनों से रक्षा करता है ।
तंत्रिका संबंधी और मानसिक विकार रोगों में लाभदायक
हाल ही में कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कलौंजी के तेल में मौजूद थाइमोक्विनोन (टीक्यू) अल्जाइमर रोग (एडी), पार्किंसंस रोग (पीडी), मिर्गी, अवसाद और चिंता जैसे कुछ न्यूरोलॉजिकल और मानसिक विकारों को ठीक करने की क्षमता रखता है ।
कलौंजी को कैसे खाएं – Kalonji ko kaise khaye
कलौंजी को अपने आहार में शामिल करना एक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प हो सकता है। कलौंजी के बीजों का उपयोग विभिन्न व्यंजनों, जैसे सलाद, सूप, स्टू और ब्रेड में किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कलौंजी के तेल का उपयोग मसाला बनाने के लिए या खाद्य पदार्थों पर छिड़कने के लिए किया जा सकता है ।
कलौंजी खाने के नुकसान : कलौंजी सेवन के दुष्प्रभाव – Kalonji Khane ke nuksan
हालाँकि कलौंजी के बहुत सारे फायदे है परंतु इसका अत्यधिक या अनुचित सेवन से कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं ।
- कुछ व्यक्तियों को कलौंजी से एलर्जी हो सकती है, जो खुजली, त्वचा पर चकत्ते या सांस लेने में कठिनाई जैसी प्रतिक्रियाओं के रूप में प्रकट हो सकती है। यदि ऐसे कोई भी लक्षण हों तो उपयोग बंद करना और चिकित्सा पर ध्यान देना आवश्यक है।
- कलौंजी के अधिक सेवन से कुछ व्यक्तियों में पेट में जलन, गैस्ट्रिक समस्या या अपच की समस्या हो सकती है। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए कलौंजी का सेवन सीमित मात्रा में करने की सलाह दी जाती है ।
- कलौंजी कुछ दवाओं के साथ क्रिया कर सकती है, जिनमें रक्तचाप और मधुमेह की दवाएं भी शामिल हैं। कलौंजी को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने से पहले एक योग्य डॉक्टर से परामर्श जरुर लेना चाहिए ।
- गर्भवती महिलाओं को अधिक मात्रा में कलौंजी का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भावस्था और भ्रूण के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
कलोंजी का विभिन्न भाषाओँ में नाम – Kalonji ke vibhin bhashao me nam
Nigella in Hindi (कलौंजी)
कलौंजी को आमतौर पर हिंदी में “कलौंजी” के नाम से जाना जाता है।
Nigella in Tamil (கருப்பு சீரகம்)
तमिल में कलौंजी को “करुप्पु सीरागम” (karuppu seeragam) (கருப்பு சீரகம்) कहा जाता है।
Nigella in Bengali (কালো জিরা)
चटनी, मछली करी और सब्जियों जैसे व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए बंगाली व्यंजनों में कलौंजी के बीज शामिल होते हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से “कालो जीरा” (কালো জিরা) कहा जाता है।
Nigella in Telugu (నల్ల జీలకర్ర)
तेलुगु में कलौंजी को “नल्ला जेलाकर्रा” (nalla jeelakarra) (నల్ల జీలకర్ర) कहा जाता है। यह अचार और मसाले के मिश्रण में एक आम सामग्री है
Nigella in Kannada (ಕೃಷ್ಣ ಜೀರಿಗೆ)
कन्नड़ व्यंजनों में करी और ब्रेड जैसे विभिन्न व्यंजनों में कलौंजी के बीज शामिल होते हैं, जिन्हें “कृष्णा जिरीगे” (krishna jeerige) (ಕೃಷ್ಣ ಜೀರಿಗೆ) के नाम से जाना जाता है।
Nigella in Malayalam (കരിംജീരകം)
मलयालम में कलौंजी को “करिंजीरकम्” (കരിംജീരകം) (karinjeerakam) कहा जाता है। ये बीज केरल के मसाला मिश्रणों का एक अभिन्न हिस्सा हैं और विभिन्न व्यंजनों के स्वाद और सुगंध को बढ़ाने के लिए खाना पकाने में उपयोग किया जाता है।
Nigella in Gujarati (કાળીજીરું)
गुजराती व्यंजनों में दाल, सब्जियों और नमकीन स्नैक्स का स्वाद बढ़ाने के लिए कलौंजी के बीजों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें “कलिजिरू” (kalijiru) (કાળીજીરું) के नाम से जाना जाता है।
Nigella in Marathi (काळा करळा)
मराठी व्यंजनों में कलौंजी के बीज शामिल होते हैं, जिन्हें आमतौर पर विभिन्न मसालों के मिश्रण और अचार में “काला करला” (kala karla) (काळा करळा) के रूप में जाना जाता है।
Nigella in Punjabi (ਕਾਲੀ ਜੀਰਾ)
पंजाबी व्यंजन ब्रेड, करी और स्नैक्स का स्वाद बढ़ाने के लिए कलौंजी के बीजों का उपयोग करते हैं, जिन्हें “काली जीरी” (kali jeeri) (ਕਾਲੀ ਜੀਰਾ) कहा जाता है।
Nigella in Urdu (کالونجی)
उर्दू में कलौंजी को “कलौंजी” (کالونجی) कहा जाता है। पारंपरिक पाकिस्तानी और उत्तर भारतीय व्यंजनों में इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है ।
Nigella in Assamese (কৰা জিৰা)
असमिया व्यंजनों में विभिन्न पारंपरिक व्यंजनों में कलौंजी के बीज शामिल होते हैं, जिन्हें “कोरा जीरा” (kora jira) (কৰা জিৰা)के नाम से जाना जाता है।
Nigella in Odia (କଳୁଜିରା)
उड़िया में कलौंजी को “कलूज़िरा” (kaluzira) (କଳୁଜିରା) कहा जाता है । इन्हें विशिष्ट स्वाद और फ्लेवर प्रदान करने के लिए मसाले के मिश्रण और करी में उपयोग किया जाता है।
निष्कर्ष
कलौंजी में पाए जाने वाले शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और सूजन-रोधी गुणों के कारण यह हृदय रोगों, प्रतिरक्षा और अनेक रोगों को ठीक करने की क्षमता होती है। हालाँकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कलौंजी कोई जादुई इलाज नहीं है, और इसके लाभों को एक संतुलित और स्वस्थ जीवन शैली के रूप में कम में लिया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
- क्या कलौजी गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित
गर्भवती महिलाओं को पूरक के रूप में कलौंजी का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ।
- क्या मैं अपनी त्वचा पर कलौंजी तेल का उपयोग कर सकता हूँ?
हाँ, कलौंजी का तेल सामयिक उपयोग के लिए सुरक्षित है और त्वचा के लिए विभिन्न लाभ प्रदान करता है ।
- क्या कलौंजी से एलर्जी में मदद करती है?
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कलौंजी के सूजन-रोधी गुण एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन अधिक शोध की आवश्यकता है।
- क्या मैं प्रतिदिन कलौंजी का सेवन कर सकता हूँ?
संतुलित आहार के हिस्से के रूप में कलौंजी के बीज का सेवन प्रतिदिन मध्यम मात्रा में किया जा सकता है।
- क्या कलौंजी बच्चों के लिए सुरक्षित है?
कलौंजी आमतौर पर कम मात्रा में बच्चों के लिए सुरक्षित है। हालाँकि, इसे नियमित रूप से देने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना सबसे अच्छा है ।
- क्या कलौंजी और काले तिल एक ही हैं?
नहीं, कलौंजी और काले तिल अलग-अलग हैं। कलौंजी के बीज निगेला सैटिवा पौधे से आते हैं, जबकि काले तिल सेसमम इंडिकम पौधे से आते हैं। उनके अलग-अलग स्वाद और दिखावे हैं।
- क्या प्याज के बीज और कलौंजी एक ही हैं?
नहीं, कलौंजी के बीज और प्याज के बीज न केवल विभिन्न पौधों द्वारा उत्पादित होते हैं, बल्कि वे विभिन्न पौधों के परिवारों से भी संबंधित होते हैं। हालाँकि देखने में दोनों के बीज एक जैसे ही दीखते है
- कलौंजी को देहाती भाषा में क्या कहते हैं?
कलौंजी को लोग मंगरैला या फिर प्याज के बीज के रूप में भी जानते हैं। यह लगभग सभी भारतीय घरों के किचन में कलौंजी पाई जाती है। काले रंग की छोटी-छोटी कलौंजी को इंग्लिश में निजेला सैटाइवा (Nigella Sativa) नाम से जाना जाता है।
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