घर पर सौंफ कैसे लगायें I How to grow fennel at home in useful 3 steps I Grow amazing fennel at your home

सौंफ़ एक बहुत ही उपयोगी और सुगंधित बीजीय मसाला फसल है। सौंफ बीजों का विभिन्न तरीके से उपयोग के विभिन्न औषधीय और स्वास्थवर्धक लाभ होते है। परन्तु आम आदमी को उतम गुणों वाली सौंफ की जानकारी नहीं होती है। साथ ही हमें यह भी मालूम नहीं होता है की बाज़ार में मिलने वाली सौंफ कितनी पुरानी है और उसको उगाने के दौरान सौंफ में कितना कीटनाशक डाला गया है । इन सब कारणों से हमें सौंफ के सेवन का पूरा लाभ नही मिल पाता है । तो चलिए आज हम आपको घर पर सौंफ कैसे लगायें इसके बारे में विस्तार से चरण-दर-चरण बताएँगे । इस लेख को पढने के बाद आप खुद भी अच्छी और खाने युक्त हरी सौंफ अपनी बालकनी या किचन गार्डन में लगा सकते है ।

घर पर सौंफ कैसे लगायें

सौंफ़ का परिचय

सौंफ (फोनीकुलम वल्गारे) गाजर परिवार से संबंधित एक बीजीय मसाला पौधा है। आमतौर पर इसका उपयोग विभिन्न पाक व्यंजनों में किया जाता है, खासकर भूमध्यसागरीय व्यंजनों में। सौंफ़ न केवल अपने पाक उपयोग के लिए बल्कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है, क्योंकि इसमें विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं।

प्राचीन समय में, माना जाता था कि सौंफ बुरी आत्माओं को दूर रखती है और शरीर को जवां रखती है। आज भी, सांसों को तरोताजा करने और पाचन में सहायता के लिए भोजन के बाद अक्सर सौंफ के बीज खाए जाते हैं।

सौंफ का पौधा एकवर्षीय शाक प्रकार का होता है और बुवाई के ६ महीने बाद इसके बीजों की कटाई कर ली जाती है । हालाँकि राजस्थान के सिरोही जिला सौंफ की खेती काफी वैज्ञानिक तरीके से करता है और यहाँ के किसान ज्यादातर हरी सौंफ का उत्पादन करते है ।

विदेशों में सौंफ की जड़नुमा गांठ (बल्ब) को सलाद के रूप में तथा सौंफ के परागकणों को मसाला के तौर पर भी कम में लिया जाता है । सुबह सुबह सौंफ के बीजों का पानी पिने से और सौंफ को सुखी खाने के बहुत सारे गुणकारी फायदे है जैसा की निचे दिए गए विडियो में डॉ. बिमल छाजेर ने विस्तार से बताया है

घर पर सौंफ को कब लगाना चाहिए

सामान्यत: भारतीय वातावरण के अनुसार सौंफ की बुवाई का सबसे बढ़िया समय अक्टूबर होता है यदि सीधा बीज के द्वारा बुवाई करते है तो । हालाँकि कुछ क्षेत्रो में जहाँ सौंफ की नर्सरी तैयार करके खेती की जाती है वहां नर्सरी की तैयारी जुलाई में ही कर दी जाती है और पौध की रोपाई सितम्बर से लेकर अक्टूबर तक कर दी जाती है ।

हालाँकि इस लेख में हम आपको घर पर सौंफ लगाने का सबसे बढ़िया तरीका के बारे में बता रहे है इसलिए आपको भी सौंफ के पौधों की छोटी सी नर्सरी जुलाई माह में ही शुरू कर देनी चाहिए ।

घर पर सौंफ लगाने के लिए सौंफ की किस्म चुनाव और नर्सरी तैयार करना

सौंफ की विभिन तरह की किस्मों का बीज बाज़ार में उपलब्ध है परन्तु बीज खरीदते समय बीज की वैलिडिटी का भी ध्यान रखना चाहिए (बीज की वैधता 9 महीने की होती है) । सामान्यता कोई भी अच्छी गुणवत्ता युक्त किस्म का चुनाव कर सकते है और उसका मोटा दाना युक्त बीज (एक मुठी भर, भूरे रंग का दाना ही लेना चाहिए) किचन गार्डनिंग के लिए पर्याप्त होता है (सौंफ की खेती की और अधिक जानकारी के लिए भारत सरकार का संस्थान “ भारतीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र, अजमेर ” का वेबसाइट विजिट कर सकते है जहाँ पर घर पर सौंफ कैसे लगायें से लेख से सम्बंधित और भी जानकारी आपको मिलेगी )।

घर के लिए सौंफ की नर्सरी तैयार करने के लिए जुलाई माह में एक छोटे गमले में मिट्टी का मिश्रण निचे दी गयी मात्रा में मिलकर तैयार कर सकते है ।

  • कोकोपीट : 1 भाग (कोकोपीट गमले में लम्बे समय तक नमी और वायु संचार बनाये रखता है)
  • सामान्य दोमट मिटटी : 1 भाग (दोमट मिट्टी में चिकनी मिट्टी (clay), रेत और गाद (silt) की बराबर मात्रा पाई जाती है और यह गार्डनिंग के लिए सबसे अच्छी मिट्टी होती है।)
  • कम्पोस्ट खाद : 1/4 भाग (सभी प्रकार के पोषक तत्वों एवं कार्बनिक पदार्थ का की उपस्थिति के कारण मृदा की उर्वरक बढाता है)
  • उपरोक्त मिटटी का मिश्रण गमले में भरकर 24 घंटे तक पानी में भींगे हुए सौंफ के बीजों को मिटटी के निचे 2-3 इंच गहराई में तथा 2-3 इंच की दुरी पर बीज की बुवाई करे ।
  • बुवाई करने के बाद हल्का हल्का पानी दे और थोडा सा सुखा घास से गमले को ढककर ऐसी जगह पर रखे जहाँ सीधी धुप नहीं आ पाए ।
  • 8-9 दिन बाद सौंफ के पौधे निकल आयेंगे परन्तु इस दौरान यह ध्यान रखे की गमले में पानी की कमी न हो पाए और नहीं ज्यादा मात्रा में पानी दे ।
  • बुवाई के 40-45 दिन बाद जब सौंफ के पौधे 5-6 इंच के हो जाये तब इन पौधों को मिटटी सहित एक एक करके निकाल कर दुसरे गमले में लगा दे ।

सौंफ के पौधे का दुसरे गमले में लगाना

घर पर सौंफ लगाने के लिए सौंफ के पौध को अलग गमले में लगाना बहुत जरुरी है । सौंफ का पौधा काफी ज्यादा कल्ले (तना) (लगभग 8-9) पैदा करता है और इसकी ऊचाई भी लगभग 6-8 फीट तक जाती है । परन्तु जडें ज्यादा गहरी नहीं जाती है इसलिए एक गमले में एक ही पौध लगनी चाहिए । सौंफ़ पूर्ण सूर्य के प्रकाश में पनपती है, इसलिए अपने बगीचे या बालकनी में एक ऐसा स्थान चुनना महत्वपूर्ण है जहाँ प्रतिदिन कम से कम छह घंटे सीधी धूप मिलती हो। सुनिश्चित करें कि जलभराव को रोकने के लिए क्षेत्र में अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी हो, क्योंकि सौंफ अत्यधिक नमी बर्दाश्त नहीं करती है ।

बुवाई के 40-45 दिन बाद जब सौंफ के पौधे 5-6 इंच के हो जाये तब इन पौधों को मिटटी सहित एक एक करके निकाल कर दुसरे गमले में लगा दे लगाने के दौरान यह ध्यान रहे की पौधों की जड़ों को कोई नुकसान नहीं पहुचे ।

पौधे की देखभाल

मिट्टी में पर्याप्त नमी का स्तर बनाए रखने के लिए सौंफ़ को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है। परन्तु अधिक पानी नहीं देना चाहिए, क्योंकि इससे जड़ें सड़ सकती हैं। सौंफ  की अच्छी उपज के लिए पौधों को महीने में एक बार संतुलित जैविक उर्वरक खाद अवश्य दें। कोशिश करे की गोबर की सड़ी हुयी खाद का प्रयोग करे ।

घर पर सौंफ लगाने के लिए कीटों और रोगों पर नियंत्रण

किसी भी अन्य फसल की तरह, सौंफ भी कीटों और बीमारियों के प्रति काफी संवेदनशील है। सामान्यत: सौंफ के पौधे को एफिड संकर्मण काफी अधिक होता है । इससे बचाने के लिए नीम के पत्तों का घोल साबुन के पानी के साथ करने से कीड़े काफी हद तक नियंत्रित हो जाते है । यदि कोई जैविक पेस्टिसाइड कम में लेना चाहे तो वो भी ले सकते है । बाज़ार में विभिन तरह के जैविक कीटनाशक उपलब्ध है जैसे Bacillus species, Trichoderma इत्यादि परन्तु इससे इसकी लगत में इजाफा हो सकता है ।

सौंफ़ की कटाई: घर पर सौंफ कैसे लगायें

यदि आप किचन गार्डन में सौंफ लगा रहे हो तो सौंफ की कटाई और उसकी सुखाई सबसे महत्वपूर्ण है । सामान्यत: सौंफ का दो प्रकार की होती है जिसका निर्धारण सौंफ की कटाई पर निर्भर करता है ।

हरी सौंफ:

यह सौंफ हरे रंग की और स्वाद में मीठी तथा कम रेशेदार होती है जिसके कारण इसको भोजन के बाद चबाने के तौर पर किया है । इसको कच्ची सौंफ, लखनवी सौंफ और मीठी सौंफ भी कहते है और इसका उपयोग सिर्फ मुखवाश के तौर पर किया जाता है । यह सौंफ काफी महंगी भी होती है ।

हरी या मीठी सौंफ बनाने के लिए सौंफ के कच्चे बीजों (umbels ) को ही समय समय पर तौड़ लिया जाता है और उनको किसी हवादार और छायादार जगह में सुखाया जाता है । इस प्रकिया के द्वारा बीजों का रंग भी हरा बना रहता है तथा उनमे मिठाश भी होती है ।

भूरी सौंफ :

यह भूरे रंग की सौंफ स्वाद में थोड़ी कसिली तथा ज्यादा रेशेदार होती है जिसके कारण इसका उपयोग निम्न्न प्रकार से करते है

  • बीज के रूप में
  • भुनकर सुगर कोटेड सौंफ के तौर पर जोकि ज्यादातर होटल में मिलती है
  • सौंफ पाउडर के तौर पर
  • सौंफ को भिंगाकर इसका पानी पिने के तौर पर
  • रसोई में विभिन प्रकार के व्यंजनों में

भूरी सौंफ बनाने के लिए सौंफ को पूर्ण रूप से पौधे के ऊपर ही पकने के लिए छोड़ दिया जाता है तथा जब बीजों का रंग भूरा हो जाये तब कटाई करके बीजों को अलग कर लिया जाता है ।

सौंफ का भंडारण एवं उपयोग

सौंफ की बीजों को स्टोर करने के लिए इन्हें एक प्लास्टिक बैग में बंद करके किसी सुखी जगह पर रखे। ध्यान रहे की सौंफ के बीजों में सुगन्धित तेल की मात्रा के कारण कीड़े लगने का खतरा काफी ज्यादा रहता है इसलिए समय – समय पर इसको देखते रहे । और इस अनोखी मीठी सौंफ का आनद जीवन के साथ लेते रहे और ज्यादा से ज्यादा लोगो को घर पर सौंफ लगाने का सबसे बढ़िया तरीका के बारे में बताते रहे और हमारा लेख शेयर करते रहे ।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सौंफ के सेवन से मुहं में दुर्गंद क्यों चली जाती हैं ?

सौंफ की तासीर ठंडी होती है तथा सौंफ में एक विशिष्ट सुगंधित तेल होता है जिसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो आपकी सांसों को तरोताजा रखने में मदद करते हैं।

सौंफ को कितनी बार पानी देना चाहिए ?

सौंफ को काफी ज्यादा मात्रा में पानी की जरुरत होती है इसलिए हर 8-9 दिनों के अंतराल में इसको पानी देते रहना चाहिए । हालाँकि जब मिटटी में नमी की मात्रा पर्याप्त हो तो पानी देनी की जरुरत नहीं होती है ।

घर पर सौंफ उगाना एक फायदेमंद अनुभव हो सकता है। इस लेख में बताए गए चरणों का पालन करके, आप ताज़ी हरी सौंफ का आनंद ले सकते हैं। अपने सौंफ के पौधों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धूप, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और नियमित देखभाल प्रदान करना याद रखें। अपनी पाक कृतियों में सौंफ के समृद्ध स्वाद और सुगंध का आनंद लें और इसके स्वास्थ्य लाभों का लाभ उठाएं ।

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