परिचय (सौंफ के 16 आश्चर्यजनक फायदे – 16 Surprising health Benefits of Fennel in Hindi)
सौंफ़ जिसे वैज्ञानिक रूप से फोनीकुलम वल्गारे के नाम से जाना जाता है, एक स्वादिष्ट और सुगंधित बीजीय मसाला फसल है । दुनिया की हर रसोई में सौंफ का उपयोग विभिन प्रकार के व्यंजनों में किये जाता है । पर क्या आप जानते हो भारत, दुनिया में सौंफ का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है । हमारे देश में सौंफ ना केवल भोजन के रूप में काम में ली जाती है बल्कि इसके विभिन्न स्वास्थ्य लाभों का भी सदियों से उपयोग होता रहा है । सौंफ के 16 आश्चर्यजनक फायदे लेख में, हम आपको वैज्ञानिक अनुसंधान और पारंपरिक ज्ञान द्वारा समर्थित सौंफ़ बीज के सेवन से जुड़े कई स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताएँगे ।
अक्सर हम खाने के बाद सौंफ के भुने हुए बीजों को माउथ फ्रेशनर के तौर पर खाते है और यह परम्परा भारतीय संस्कृति में इस कद्र रची बसी है की हम इसको एक दैनिक क्रिया समझते है । परंतु हमारे पूर्वजों के द्वारा शुरू की गयी यह आदत हमें कई प्रकार के स्वास्थ लाभ देती है । सौंफ के 16 आश्चर्यजनक फायदे लेख में हम आपको विस्तार से इसके बारे में बताएँगे । सौंफ को आप घर पर भी अपने खाने के लिए उगा सकते है ।
सौंफ के विभिन्न भाषा में नाम (Name of fennel seeds in various languages)
सौंफ के 16 आश्चर्यजनक फायदे जानने से पहले सौंफ के विभिन्न भाषाओं मे नाम जानना जरूरी है ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी सभी भाषा जानने वाले लोगों तक पहुँच सके
Fennel seeds in hindi:
हिंदी में Fennel को “सौंफ” कहा जाता है। “सौंफ” शब्द संस्कृत शब्द “शतपुष्पा” से लिया गया है, जिसका अनुवाद “सौ फूल” होता है।
Fennel seeds in tamil:
Fenugreek is called “Perunchikaram” (“பெருஞ்சிகரம்”) in Tamil. “Fennel” is a portmanteau of “peru” meaning “big” and “jeeraka”. The name emphasizes the similarity between fennel seeds and large cumin seeds.
Fennel seeds in telugu:
Fennel is called “Sopu” (సోపు) in Telugu. The name “fennel” comes from the Sanskrit word “sushopam” which means “good fragrance.”
Fennel seeds in kannada:
In Kannada, fennel is known as “ansopu” (ಸೋಪು). The name “anise” comes from the Sanskrit word “shatapushpa”, which is the basis for the Hindi name for fennel.
Fennel seeds in Malayalam:
Fennel is known as Perumjirakam (പെരുംജീരകം) in Malayalam. Similar to the Tamil name, “fennel” refers to the large size characteristic of fennel.
Fennel seeds in Marathi:
In Marathi, a variety of fennel is known as “Badishep“. The word “fennel” is a combination of “buddy,” meaning “big,” and “shep,” meaning “fennel.”
Fennel seeds in odia:
In Odia, fennel is known as “panmuhuri” (ଫେନେଲ ). The word “panmuhuri” is a combination of “pan,” meaning “leaf,” and “muhuri,” meaning “fragrance.”
Fennel seeds in Bengali:
In Bengali, fennel is called “Mauri” (মৌরি). The name “fennel” comes from the word “mohori” meaning “fragrant” or “scented”.
Fennel seeds in Gujrati:
Fennel is known as “Variali” (“વરિયાળી”) in Gujarati. The word “fennel” is derived from the Sanskrit word “varavallika”, meaning “good fragrance.
सौंफ की तासीर
आयुर्वेद के अनुसार शरीर का स्वास्थ्य तीन चीजों पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है : वात पित्त और कफ। ये तीनों अगर शरीर में संतुलित अवस्था में हैं तो आप स्वस्थ हैं, अगर इनमें से किसी का भी संतुलन बिगड़ा तो रोग उत्पन्न होने लगते हैं. इसी वजह से इन्हें ‘दोष’ या त्रिदोष कहा गया है । किसी भी खाद्य पदार्थ को वात पित्त और कफ के संतुलन के अनुसार दो प्रकार की प्रक्रति (तासीर) में विभाजीत किया गया है खाद्य पदार्थों की तासीर या तो ठंडी होती है या फिर गर्म होती है। सौंफ़ को शीतल या “ठंडी ” तासीर वाला माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, इसका शीतलन प्रभाव शरीर में उत्पन गर्मी या “पित्त” दोष को संतुलित करने में मदद करता है। ऐसा माना जाता है कि इसका पाचन तंत्र पर शांत प्रभाव पड़ता है और यह सूजन और एसिडिटी को शांत करने में मदद कर सकता है।
सौंफ के 16 आश्चर्यजनक फायदे: 16 Surprising health Benefits of Fennel in Hindi
भोजन पाचन में सहायक और पेट की सूजन से राहत:
सौंफ़ के बीज को पारंपरिक रूप से इसके वायुनाशक गुणों के कारण पाचन क्रिया में सहायक के रूप में उपयोग किया जाता है। यह पेट की सूजन, गैस और अपच सहित अन्य परेशानियों को कम करने में मदद करता है। सौंफ़ बीज के वाष्पशील तेल में मौजूद विभिन प्रकार के औषधीय पदार्थों की एंटीस्पास्मोडिक (पेट में मांसपेशियों को आराम देने में मदद) और वायुनाशी (पेट की गैस को दूर करना) गुणों के कारण यह पाचन को आसान बनाता है । सौंफ में फाइबर काफी मात्रा में होते है जो शरीर की पाचन शक्ति को नियमित करके कब्ज और पेट के अल्सर जैसी बीमारियों को रोकने में सहायक है ।
मेटाबॉलिज्म में सहायक :
सौंफ विटामिन बी-6 का उत्तम स्रोत है, जो कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को छोटे योगिकों जैसे ग्लूकोज तथा अमीनो एसिड में बदलता है और हमारा शरीर इन छोटे यौगिकों का आसानी से ऊर्जा के लिए उपयोग कर पाता है ।
वजन घटाने में मददगार :
सौंफ के 16 आश्चर्यजनक फायदे मे से एक प्रमुख इसका मोटे लोगों का वजन कम करना भी है । वजन कम करने का लक्ष्य रखने वाले व्यक्तियों के लिए, सौंफ़ के बीज का सेवन एक फायदेमंद तरीका है । सौंफ के बीज में मौजूद फाइबर, पेट भरा होने का अहसास कराते है जिससे की भूख कम लगती है और व्यक्ति के भोजन की मात्रा नियंत्रित होती है । इसके अलावा, यह मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को ज्यादा प्यास लगती है और अतिरिक्त पानी का सेवन वजन को खत्म करने में सहायता करता है ।
वजन घटाने के लिए सौंफ का पानी:
रात को सौंफ के बीजों को पानी मे भिंगो कर सुबह सुबह खाली पेट यह पानी पीने से शरीर की पाचन शक्ति बढ़ती है जिससे वजन नियंत्रण मे सहायता मिलती है ।
वजन घटाने के लिए सौंफ की चाय:
सौंफ के बीज को अपनी दिनचर्या में शामिल करने का सबसे सुविधाजनक तरीका सौंफ के बीज की चाय बनाना है। बस एक चम्मच सौंफ़ के बीज को 10 मिनट के लिए गर्म पानी में भिगोएँ, छान लें और आनंद लें। सौंफ के बीजों की चाय एक सुखदायक और ताज़ा पेय प्रदान करती है साथ ही सौंफ़ के बीज से जुड़े स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करती है। एक अध्ययन में बताया गया है कि सौंफ की चाय पीने से भूख नियंत्रण रणनीति के माध्यम से वजन काफी कम हो जाता है
हृदय को स्वस्थ बनाता है :
सौंफ के बीज का नियमित सेवन हृदय स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- सौंफ के बीजों मे पोटेशियम काफी मात्रा मे होता है, जो रक्तचाप के स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए आवश्यक है। पोटेशियम रक्त वाहिकाओं को आराम देने, तनाव कम करने और हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद करता है। अपने हाइपोलिपिडेमिक और एंटी-एथेरोजेनिक गुणों के कारण, सौंफ का उपयोग हृदय रोगों से बचाव के लिए प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है ।
- सौंफ के बीजों मे काफी मात्रा में फाइबर होता है जो रक्त में कुल सीरम कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल को कम करके हमारे हृदय को स्वस्थ रखने मे मदद करता है।
- मानव शरीर मे कई प्रकार के तनाव के कारण, होमोसिस्टीन नामक योगिक का निर्माण होता है और जब अत्यधिक मात्रा में होमोसिस्टीन शरीर मे जमा हो जाता है, तो यह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता’ है और हृदय संबंधी समस्याएं पैदा करता है। सौंफ के बीज मे मोजूद विटामिन बी-6, होमोसिस्टीन को मेथिओनिन नामक योगिक में परिवर्तित करके इसकी मात्रा को नियंत्रित करता है। जिससे की शरीर मे होने वाले वाले होमोसिस्टीन स्ट्रोक (विशेष रूप से मस्तिष्क रक्त वाहिकाओं मे होने वाला स्ट्रोक) और इस्कीमिक स्ट्रोक के जोखिम को कम करने मे सहायक है।
एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण:
सौंफ़ के बीज एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं जो शरीर को फ्री रेडिकल के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट, जैसे फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक यौगिक, शरीर में सूजन को कम करने और कोशिका क्षति को रोकने में सहायक हैं और कुछ पुरानी बीमारियों के प्रभाव को कम करने मे मदद करता है ।
जीवाणुरोधी और कवकरोधी गुण:
सौंफ के बीजों मे उपस्थित लिनोलिक एसिड, 1, 3-बेंजेनडियोल, ओलिक एसिड और 2,4-अंडेकेप्रेनिल जैसे कई औषधीय पदार्थों की उपस्थिति के कारण, सौंफ में जीवाणुरोधी गुण होते हैं और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के संक्रामक जीवाणुओं के इलाज के लिए किया जाता है।
- सौंफ़ में 5-हाइड्रॉक्सी-फ्यूरानोकौमरिन होता है, जो शरीर की जीवाणुरोधी क्रिया का एक प्रमुख घटक है।
- यह प्राकृतिक खाद्य परिरक्षकों (Natural food preservatives) के रूप में भी कार्य करता है, इसका उपयोग भोजन की ताजगी बनाए रखने और उसमे बैक्टीरिया के विकास को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है ।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है:
सौंफ़ के बीजों मे विटामिन-सी की मौजूदगी के कारण यह शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने मे भी मददगार है । क्युकी विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ावा देने और शरीर को संक्रमण और बीमारियों से बचाने में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है।
श्वसन संबंधित रोगों मे लाभदायक :
सौंफ़ के बीज में कफनाशक गुण होते हैं जो श्वसन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं। यह श्वसन-नली से चिपके बलगम और कफ को हटाने मे मददगार है जिससे की इसे बाहर निकालना आसान हो जाता है और रोगी को दम घुटना, खांसी और ब्रोंकाइटिस से राहत मिलती है।
रक्तचाप को नियंत्रित करता है:
सौंफ़ के बीज में मौजूद पोटेशियम, शरीर में रक्तचाप के स्तर को बनाए रखने में योगदान देता है। पोटेशियम एक वैसोडिलेटर के रूप में कार्य करता है जिससे की रक्त वाहिकाओं को आराम मिलता है और रक्त प्रवाह में सुधार होता है, फलस्वरूप हृदय पर तनाव को कम करने में सहायक है। 2018 के एक अध्ययन के अनुसार सौंफ की हरी पत्तिया नाइट्रेट से भरपूर होती है जिसके सेवन से शरीर मे उच्च रक्तचाप को कम करने मे मदद मिलती है ।
आंखों के स्वास्थ्य को बढ़ाता है:
सौंफ़ के बीज मौजूद एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन ए और सी पोटेशियम और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण योगिक होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। ये पोषक तत्व बढ़ती उम्र के अनुसार आँखों की रोशनी को बनाए रखने और ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद करते हैं, जिससे समग्र नेत्र स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
मासिक धर्म की परेशानी से राहत दिलाता है:
सौंफ़ के बीज का उपयोग पारंपरिक रूप से मासिक धर्म से जुड़े लक्षणों, जैसे ऐंठन और दर्द को कम करने के लिए किया जाता है। इसके एंटीस्पास्मोडिक गुण गर्भाशय में मांसपेशियों को आराम देने, दर्द को कम करने और मासिक धर्म के दौरान होने वाले मूड स्विंग को ठीक करने मे मददगार है ।
- सौंफ में प्राकृतिक रूप से एस्ट्रोजन होता है। यह महिला प्रजनन चक्र को विनियमित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है। चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि एस्ट्रोजन शरीर के वजन में योगदान करने वाले कारकों, जैसे भूख, शरीर में वसा वितरण और ऊर्जा व्यय को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी व्यक्ति के एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव से वजन में बदलाव हो सकता है।
- 2020 के एक अध्ययन में पाया गया कि सौंफ के बीजों के पाउडर के सेवन से 8 सप्ताह के से भी कम समय में रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में रजोनिवृत्ति के लक्षण कम करने मे
हड्डियों को मजबूत बनाता है :
कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक खनिज हैं। सौंफ़ के बीज में मौजूद ये खनिज हड्डियों के निर्माण और पोषण मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सौंफ के बीज के नियमित सेवन से हड्डियों की मजबूती में सुधार और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम होता है।
तनाव और चिंता को कम करता है :
सौंफ़ के बीज में ट्रांस-एनेथोल की उपस्थति के कारण मानव में तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है।
शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है :
सौंफ मे विटामिन-सी की प्रचुर मात्रा के कारण इसे आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों के साथ खाने से यह शरीर की आयरन को अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाता है।
त्वचा को निखारने मे सहायक :
सौंफ़, विटामिन सी का एक उत्कृष्ट स्रोत है जिससे यह शरीर मे कॉलेजन प्रोटीन बनाने के लिए मदद करता है जो की त्वचा के पुननिर्माण में अत्यंत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त सौंफ के बीजों मे मौजूद विटामिन-सी, त्वचा को प्रदूषण और धुएं से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करता है।
कैंसर रोधी होती है सौंफ :
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि सौंफ के बीज में कैंसर रोधी गुण होते हैं। सौंफ के बीज में मौजूद कुछ यौगिक, जैसे एनेथोल और फ्लेवोनोइड, ने कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने और कैंसर के खतरे को कम करने की क्षमता दिखाई है। एक अध्ययन से पता चला है कि सौंफ के अर्क ने लिपिड पेरोक्सीडेशन को संशोधित करके, एंटीऑक्सीडेंट रक्षा प्रणाली को बढ़ाकर और फ्री रेडिकल को कम करके स्तन कैंसर कोशिकाओं (एमसीएफ -7) और यकृत कैंसर कोशिकाओं (हेपजी) की वृद्धि को काफी कम कर दिया है।
- इसके अतिरिक्त सेलेनियम एक खनिज है जो सौंफ़ में पाया जाता है जो कई अन्य फलों और सब्जियों में अनुपस्थित होता है। यह लिवर एंजाइम फ़ंक्शन में योगदान देता है और शरीर में कुछ कैंसर पैदा करने वाले यौगिकों को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। सेलेनियम सूजन को भी रोक सकता है और ट्यूमर की वृद्धि दर को भी कम करता है।
- सौंफ मे मौजूद विटामिन सी, विटामिन ए और बीटा-कैरोटीन शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट हैं जो कोशिकाओं को फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं।
सौंफ के बीज में उपस्थित पोषक तत्व :
सौंफ़ के बीजों मे विभिन्न तरह के लाभदायक पोषक तत्व पाएँ जाते हैं। यह विटामिन सी, पोटेशियम, मैंगनीज और फोलेट का अच्छा स्रोत है। इसके अतिरिक्त, इसमें एंटीऑक्सिडेंट और आहार फाइबर भी प्रचुर मात्रा में होते हैं ।
सौंफ के बीज में कैलोरी कम होती है लेकिन यह आवश्यक विटामिन, खनिज और आहार फाइबर से भरपूर होता है। यहां प्रति 100 ग्राम में इसकी पोषण संरचना का विवरण दिया गया है:
कैलोरी: सौंफ़ के बीज में लगभग 345 कैलोरी होती है।
कार्बोहाइड्रेट: सौंफ के बीजों में लगभग 52 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होती है।
प्रोटीन: सौंफ के बीज में लगभग 15 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है।
वसा: सौंफ के बीज में मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड को मिलाकर लगभग 14 ग्राम वसा होती है ।
फाइबर: सौंफ फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जो प्रति 100 ग्राम बीज में लगभग 40 ग्राम होता है।
विटामिन सी: सौंफ के बीज में विटामिन सी होता है, जो प्रतिरक्षा, कोलेजन संश्लेषण और एंटीऑक्सीडेंट सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
पोटेशियम: सौंफ पोटेशियम का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो हृदय और मांसपेशियों के कार्य को सुचारु बनाए रखने के साथ-साथ रक्तचाप को भी नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कैल्शियम: सौंफ के बीज कैल्शियम प्रदान करते हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य, मांसपेशियों के कार्य और तंत्रिका संचरण के लिए महत्वपूर्ण खनिज है।
आयरन: इसमें आयरन होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन और पूरे शरीर में ऑक्सीजन परिवहन के लिए आवश्यक है।
मैग्नीशियम: सौंफ मैग्नीशियम का प्रमुख स्रोत है, जो ऊर्जा उत्पादन और मांसपेशियों के कार्य सहित कई जैव रासायनिक प्रक्रियाओं के लिए एक आवश्यक खनिज है।
इन पोषक तत्वों के अलावा, सौंफ के बीजों में फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक यौगिक और वाष्पशील तेल जैसे औषधीय पदार्थ होते हैं जो शरीर को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद करते हैं, और पुरानी बीमारियों को ठीक करने में योगदान करते है।
सौंफ के बीज में उपस्थित पोषक तत्व: टेबल :1
Nutrient | Value per 100 g | Vitamin | Value per 100 g | Minerals | Value per 100 g |
Water | 8.81 g | Vitamin C, total ascorbic acid | 21 mg | Calcium, Ca | 1196mg |
Energy | 345 kcal | Thiamin | 0.408 mg | Iron, Fe | 18.54 mg |
Energy | 1443 kJ | Riboflavin | 0.353 mg | Magnesium | 385 mg |
Protein | 15.8 g | Niacin | 6.05 mg | Phosphorus | 487 mg |
Total lipid (fat) | 14.87 g | Vitamin B-6 | 0.47 mg | Potassium, K | 1694 mg |
Ash | 8.22 g | Vitamin B-12 | 0 µg | Sodium, Na | 88 mg |
Carbohydrate | 52.29 g | Vitamin A, RAE | 7 µg | Zinc, Zn | 3.7 mg |
Fiber, total dietary | 39.8g | Retinol | 0 µg | Copper, Cu | 1.067 mg |
Vitamin A, IU | 135 IU | Manganese | 6.533 mg | ||
Source: United States Department of Agriculture Agricultural Research Service |
सौंफ के बीज में उपस्थित पोषक तत्व: टेबल :2
Lipids | Value per 100 g | Amino Acids | Value per 100 g |
Fatty acids, total saturated | 0.48 g | Tryptophan | 0.253 g |
16:00 | 0.48 g | Threonine | 0.602 g |
Fatty acids, total monounsaturated | 9.91 g | Isoleucine | 0.695 g |
18:1 undifferentiated | 9.91 g | Leucine | 0.996 g |
Fatty acids, total polyunsaturated | 1.69 g | Lysine | 0.758 g |
18:2 undifferentiated | 1.69 g | Methionine | 0.301 g |
Cholesterol | 0 mg | Cystine | 0.222 g |
Phytosterols | 66 mg | Phenylalanine | 0.647 g |
Amino Acids | Value per 100 g | Amino Acids | Value per 100 g |
Alanine | 0.789 g | Tyrosine | 0.41 g |
Aspartic acid | 1.833 g | Valine | 0.915 g |
Glutamic acid | 2.956 g | Arginine | 0.68 g |
Glycine | 1.107 g | Histidine | 0.331 g |
Proline | 0.9 g | Serine | 0.9 g |
Source: United States Department of Agriculture Agricultural Research Service |
सौंफ, करावे और सुवा (डील ) से कैसे अलग है
सौंफ़ और करावे :
करावे और सौंफ के बीज देखने में एक जैसे दिखते हुए भी बहुत सारे गुणों और उपयोग मे भिन्न होते हैं
- करावे के बीजों में सौंफ की तुलना में अधिक मात्रा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर होता है तथा अधिक कैलोरी होती है।
- करावे, का उपयोग सामान्य तौर पर ठंडे इलाकों में विभिन्न तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों मे किया जाता है एक प्रकार से जीरा की जगह इन जगहों पर करावे का उपयोग किया जाता है।
- करावे की खेती भारत मे केवल कश्मीर के कुछ ही भूभाग पर होती है क्युकी वहाँ की जलवायु मे ही यह पौधा पनपता है ।
सौंफ और डिल:
सौंफ और डील दोनों के पौधे दिखने में एक जैसे दिखते है परंतु पुष्पन के समय डील मे गहरे पीले फूल आते है जबकि सौंफ के फूलों का रंग हल्का पीला होता है।
- सौंफ के बीज का आकार लंबा होता है जबकि डील का बीज थोड़ा गोलनुमा होता है।
- सुवा के पतियों का उपयोग पालक के साथ सब्जी बनाने मे किया जाता है तथा इसके बीजों का उपयोग बच्चों के ग्राइप वाटर बनाने में किया जाता है ।
- डिल की पतियों में सौंफ़ की तरह सूक्ष्म मिठास होती है परंतु थोड़ा तीखा और कड़वा स्वाद होता है। पौष्टिक रूप से, सौंफ में अधिक फाइबर होता है, लेकिन डिल में विटामिन सी, आयरन, मैंगनीज और पोटेशियम अधिक मात्रा में होता है।
निष्कर्ष
सौंफ़ न केवल रसोई में एक बहुत उपयोगी मसाला है बल्कि यह कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करती है। पाचन में सहायता से लेकर हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने, वजन घटाने में सहायक और शरीर की प्रतिरक्षा को भी बढ़ाती है। सौंफ़ का बीज एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक मूल्यवान मसाला है। याद रखें कि सौंफ़ के बीज को सीमित मात्रा में ही भोजन मे शामिल करना चाहिए । यदि आपको कोई विशिष्ट स्वास्थ्य संबंधी या चिकित्सीय स्थितियाँ हैं तो किसी पेशेवर से परामर्श के बाद ही इसका उपयोग करे ।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – FAQ
रोजाना कितना सौंफ खाना चाहिए? (बहुत अधिक सौंफ खाने के दुष्प्रभाव)
सौंफ़ बीज का आम तौर पर एक निश्चित मात्रा तक उपभोग सुरक्षित है परंतु कुछ व्यक्तियों को इससे एलर्जी या प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। गाजर, अजवाइन जैसे पौधों से एलर्जी वाले लोगों को सौंफ के बीज से भी एलर्जी होने का खतरा हो सकता है। इसके अतिरिक्त, सौंफ के बीज का अधिक सेवन कुछ दवाओं में हस्तक्षेप कर सकता है या एस्ट्रोजेनिक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए यदि आपको कोई चिंता है तो पेशेवर डॉक्टर से परामर्श के बाद ही इसका उपयोग करना चाहिए है ।
गर्भावस्था में सौंफ का उपयोग कर सकते है क्या ?
सामान्य मात्रा में सौंफ का सेवन आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित माना जाता है। हालाँकि, गर्भावस्था के दौरान आहार में कोई भी बदलाव करने से पहले हमेशा एक पेशेवर डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह लेनी चाहिए ।
क्या सौंफ के बीज सांसों की दुर्गंध दूर करने में मदद कर सकते हैं ?
हां, सौंफ के बीज में प्राकृतिक रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो सांसों को तरोताजा करने और मुंह में बैक्टीरिया के कारण होने वाली सांसों की दुर्गंध से निपटने में मदद करते हैं। सौंफ के बीज चबाना या सौंफ के बीज की चाय पीना मौखिक स्वच्छता के लिए फायदेमंद होता है ।