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परिचय
ब्राउन प्लांट हॉपर (Brown Plant Hopper (BPH), या भूरा फुदका, धान की फसल के लिए सबसे खतरनाक कीटों में से एक है। यह कीट पौधों के तने से रस चूसता है, जिससे पौधे पीले पड़ जाते हैं और सूख जाते हैं। साथ कई बीमारियों को भी फैलाता है। गंभीर मामलों में, BPH से पूरी फसल नष्ट हो सकती है।
धान के खेतों में मकड़ियां BPH का प्राकृतिक शिकारी होती हैं, जो की भूरा फुदका कीट के लिए एक तरह से जैव नियंत्रक का कार्य करती है । लेकिन BPH की आबादी रोपाई के 60 दिनों बाद सबसे अधिक होती है, तब तक मकड़ियां अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं।
ब्राउन प्लांट हॉपर की पौधे को खाने की पसंद भी बाकि कीटों से अलग है यह खतरनाक कीट 100 दिन से कम पुराने पौधों की तुलना में 100 से 140 दिन पुराने धान के पौधों को खाना अधिक पसंद करते हैं। इसलिए, धान की रोपाई का सही समय BPH के हमले से बचने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ब्राउन प्लांटहॉपर धान में कब लगता है
वैज्ञानिकों का कहना है कि धान की फसल में BPH (ब्राउन प्लांटहॉपर) लगने का खतरा तापमान, बारिश, हवा में नमी और फसल की उम्र पर निर्भर करता है। यह जानकारी अभी तक किसानों को नहीं पता थी, और इसी वजह से BPH से होने वाले नुकसान को रोकना मुश्किल था।
धान में ब्राउन प्लांटहॉपर की रोकथाम हेतु नया अनुसंधान
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन से किसानों को यह जानने में मदद मिलेगी कि BPH से अपनी फसल को कैसे बचाया जाए।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन के दौरान धान की रोपाई 3 अलग-अलग समय पर की और पौधे की वृद्धि पर BPH और मकड़ियों का प्रभाव देखा।
वैज्ञानिकों ने धान की किस्म पूसा 1509 के 27 दिन पुराने पौधे की रोपाई 3 अलग-अलग समय पर की और 7 महत्वपूर्ण अवस्थाओं (जैसे टिलरिंग, बूटिंग, हेडिंग, मिल्की स्टेज आदि) में भूरा फुदका (ब्राउन प्लांटहॉपर) और मकड़ियों की आबादी का अध्ययन किया।
- जून के दूसरे सप्ताह में (जल्दी रोपाई)
- जून के चौथे सप्ताह में (सामान्य रोपाई)
- अगस्त के पहले सप्ताह में (देर से रोपाई)
ब्राउन प्लांटहॉपर पर अध्ययन का निष्कर्ष
वैज्ञानिको ने अध्ययन के दौरान यह पाया की धन की फसल को देरी से लगाने पर ब्राउन प्लांटहॉपर का संकर्मण ज्यादा होता है
पूसा संस्थान के वैज्ञानिको ने पाया की भूरा फुदका 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर सबसे ज्यादा पनपता है। और बारिश और हवा में नमी BPH के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाती हैं। तथा ज्यादा उम्र की फसल में भूरा फुदका लगने का खतरा ज्यादा होता है।
अध्ययन के नतीजों से धान के किसान BPH से होने वाले नुकसान को कम कर सकेंगे और अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकेंगे।
धान की फसल में कीटों का प्रकोप: देर से पौध रोपण से नुकसान
पूसा संस्थान के वैज्ञानिको का यह अनुसंधान कार्य हाल ही में Indian Journal of Agricultural Science (रिसर्च आर्टिकल लिंक ) नाम की प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हुआ है तथा अनुसंधान का कार्य Vinod Kumar की अगुवाई में संपन्न हुआ है
अनुसंधान के प्रमुख निष्कर्ष किसान भाइयो को काफी फायदा पंहुचा सकते है तथा कुछ अनुसंधान की कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु निचे दिए गए है .
- वर्ष 2021 और 2022 में, सामान्य से देरी से धान लगाने से कीड़ों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई।
- 2021 में, सबसे अधिक कीड़े तब दिखाई दिए जब पौधे बालियां बनाना शुरू कर रहे थे, और 2022 में, यह तब हुआ जब दाने दूधिया पदार्थ से भर रहे थे।
धान के देर से रोपण का BPH पर प्रभाव:
- देर से लगाए गए चावल पर बहुत अधिक भूरा फुदका (ब्राउन प्लांटहॉपर) का हमला होता है।
- लाभदायक कीट-भक्षी मकड़ियों की संख्या भूरा फुदका से कम होती है।
- सबसे खराब कीट हमले तब होते हैं जब चावल में दाने बन रहे होते हैं
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धान के जल्दी रोपण के लाभ:
- जल्दी लगाए गए चावल में अभी भी कुछ BPH लगते हैं, लेकिन बहुत कम, और वो भी अनाज बनने के बाद।
- जल्दी रोपण से किसानों को बेहतर पैदावार और अधिक मुनाफा मिल सकता है।
किसानों के लिए सलाह:
- अपने क्षेत्र में BPH के प्रकोप के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
- BPH के कम प्रकोप वाले समय में धान की रोपाई करें।
- मकड़ियों जैसे प्राकृतिक जैव नियन्त्रको को BPH की रोकथाम के लिए बढ़ावा दें।
- लाभदायक मकड़ियों को संरक्षित करने के लिए रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करें।
- BPH प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
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