Table of Contents
परिचय : SeaFood waste क्या होता है ।
हर साल, दुनिया भर में लाखों टन seafood, जैसे केकड़े और झींगे, का सेवन किया जाता है। इनके खाने के बाद, बचे हुए छिलके और हडियाँ एक बड़ी समस्या बन जाते हैं। एक अनुमान के तौर पर हर साल लगभग 6 से 8 मिलियन टन समुद्री जीवों के छिलके कचरे के रूप में उत्पन्न होते हैं। आमतौर पर, इन छिलकों को खाली जमीन में फेंक दिया जाता है या समुद्र में छोड़ दिया जाता है, या खाद के तौर पर काम में लिया जाता है।
इन सभी तरीकों से पर्यावरण को निम्न प्रकार से नुकसान होता है ।
Seafood waste खाली जमीन में फेंकने पर नुकसान:
छिलकों को सड़ने में बहुत समय लगता है, जिसके कारण मीथेन गैस निकलती है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देती है।
Seafood waste समुद्र में डालने पर नुकसान:
छिलकों में मौजूद पोषक तत्व पानी में घुल जाते हैं, जिससे यूट्रोफिकेशन नामक एक प्रक्रिया होती है। यूट्रोफिकेशन के कारण शैवालों का अत्यधिक विकास होता है, और पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऑक्सीजन की कमी से समुद्री जीव मरना शुरू हो जाते है जिससे की “मृत क्षेत्र” बनते हैं ।
Seafood waste को खाद में डालने से नुकसान:
यदि छिलकों को ठीक से खाद में नहीं डाला जाता है, तो वे हानिकारक बैक्टीरिया और पैथोजेन्स का प्रजनन स्थल जाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए, वैज्ञानिक समुद्री जीवों के छिलकों के उपयोग के लिए नए और बेहतर तरीके खोज रहे हैं।
समुद्री जीवों के खोल: प्रकृति का अद्भुत उपहार
समुद्री जीवों के खोल, जिन्हें हम अक्सर कचरा समझकर फेंक देते हैं, प्रकृति का एक अद्भुत उपहार हैं। इन खोलों में मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं: काइटिन, प्रोटीन और खनिज लवण। काइटिन, सेल्यूलोस के बाद दूसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जैवरसायन पदार्थ है, कवक, कीड़े और समुद्री जीवों जैसे जीवों द्वारा हर साल लगभग 100 बिलियन टन काइटिन का उत्पादन किया जाता है। शुद्ध काइटिन का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग, एकल-उपयोग वस्तुओं, उर्वरक और सौंदर्य प्रसाधन तक।
उच्च शुद्धता वाला काइटिन प्राप्त करने के लिए, आजकल लोग कुछ खतरनाक रसायन जैसे सांद्र हाइड्रोक्लोरिक एसिड और सोडियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग करते है । इन रसायनों के उपयोग से जहाँ काइटिन का क्षरण होता है, वही ये रसायन पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हैं।
हालाँकि समुद्री जीवों के खोल से काइटिन को अलग करने के लिए कुछ आधुनिक तरीके जैसे एंजाइमों, अल्ट्रासाउंड और माइक्रोवेव का उपयोग भी किया जाने लगा है जोकि पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं। परन्तु इनका उपयोग काफी खर्चीला होता है और काइटिन की शुद्धता भी उतनी अच्छी नहीं थी। इसलिए, वैज्ञानिक अभी भी बड़ी मात्रा में शुद्ध काइटिन पाने का सबसे अच्छा और पर्यावरण के अनुकूल तरीका ढूंढ रहे हैं।
सीफूड अपशिष्ट से काइटिन निकालने का नया तरीका
हाल ही में, अमेरिका के कनेक्टिकट विश्वविद्यालय में, शोधकर्ताओं ने रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों के द्वारा सीफूड के कचरे से काइटिन निकालने का एक दिलचस्प तरीका खोजा है। उन्होंने सेब से मिलने वाला मैलिक एसिड, किण्वित खाद्य पदार्थों से मिलने वाला लैक्टिक एसिड, कोलीन क्लोराइड , और ग्लिसरॉल (एक चीनी विकल्प) का उपयोग करते हुए सीफूड के कचरे से काइटिन को अलग करने का तरीका निजाद किया है जो की पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं, और शुद्ध काइटिन भी प्राप्त किया जा सकता है ।
इस नई तकनीक में तीन रसायनों जैसे ग्लिसरॉल, कोलीन क्लोराइड, और मैलिक एसिड का उपयोग किया गया है । जब इन रसायनों को मिलाया जाता है, तो वे एक गाढ़ा तरल बनाते हैं जिसे टर्नरी डीप यूक्टेटिक सॉल्वेंट्स (TDESs) कहा जाता है।
TDES एक विशेष तरल है जो समुद्री भोजन के कचरे में मौजूद अन्य पदार्थों जैसे प्रोटीन और कैल्शियम कार्बोनेट से काइटिन को आसानी से अलग करने में मदद करता है। TDES में ऐसे गुण होते हैं जो समुद्री जीवों को भोजन के रूप में कम में लेने के बाद निकलने वाले कचरे से अनावश्यक चीजों को हटाकर काइटिन को अलग करता है
शोधकर्ताओं का यह काम इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल मैक्रोमोलेक्युलस में फ़रवरी 2024 में प्रकाशित हुआ है । जो की दुनियाभर के अनुसंधानकर्ताओ में चर्चा का विषय बना हुआ है और भविष्य में इस पर आधारित और भी बहुत सारे काम मानव जीवन को आसान बनाने की दिशा में शुरू किए जा सकते है ।
नई तकनीक के फायदे
पर्यावरण के अनुकूल
यह तकनीक मैलिक एसिड, लैक्टिक एसिड, कोलीन क्लोराइड और ग्लिसरॉल जैसे पदार्थों का उपयोग करती है, जिससे कि निष्कर्षण प्रक्रिया पर्यावरण के लिए नुकसान नहीं होगी है।
उच्च शुद्धता
इस तकनीक से प्राप्त काइटिन उच्च शुद्धता का होता है, जो विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है।
नई तकनीकी का अन्य उपयोग
वैज्ञानिक सिर्फ सीफूड के कचरे से काइटिन निकालने पर ही ध्यान नहीं दे रहे हैं, बल्कि समुद्री शैवाल से शुद्ध एल्गिनेट (Alginate) जैसे अन्य मूल्यवान जैव संसाधनों को भी खोज रहे हैं। समुद्री शैवाल से प्राप्त एल्गिनेट का उपयोग खाद्य और दवा उद्योगों में कई तरह से किया जाता है। TDES एक आशाजनक नई तकनीक है जिसमें कई उद्योगों में क्रांति लाने की क्षमता है। जिससे नए और अभिनव उत्पादों का विकास हो सकता है।
More information: Yi Wang et al, Glycerol/organic acid-based ternary deep eutectic solvents as a green approach to recover chitin with different molecular weight from seafood waste, International Journal of Biological Macromolecules (2023). DOI: 10.1016/j.ijbiomac.2023.128714
Our other related articles: